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अगर आप भी लेसिक बनाम आईओएल के बारे में ज्यादा जानना चाहते हैं, तो आपके लिए यह ब्लॉग पोस्ट बहुत फायदेमंद है। लेसिक एक प्रकार की अपवर्तक सर्जरी है, जिसका उपयोग दृष्टि समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। इसमें कॉर्निया को फिर से आकार देने के लिए लेजर का उपयोग करना शामिल है। कॉर्निया आंख की पारदर्शी और बाहरी परत है। यह जिस तरह से रोशनी आंख में जाती है, उसमें त्रुटियों को ठीक करके दृष्टि में सुधार मदद कर सकती है। लेसिक को आमतौर पर एक आउट पेशेंट के आधार पर किया जाता है। इसका मतलब है कि आप सर्जरी के बाद उसी दिन घर जा सकते हैं।
अगर आप अपनी दृष्टि में सुधार के लिए सर्जरी पर विचार कर रहे हैं, तो आपके लिए जानना जरूरी है कि क्या लेसिक या आईओएल आपके लिए सही प्रक्रिया है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि दोनों प्रक्रियाओं के अपने फायदे और नुकसान हैं। ऐसे में आपके लिए यह तय करना मुश्किल हो सकता है कि कौन सा सबसे अच्छा विकल्प है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम लेसिक और आईओएल के बीच के अंतर पर चर्चा करेंगे। इससे आपको एक सूचित फैसला लेने में मदद मिल सकती है कि आपके लिए कौन सी प्रक्रिया सबसे अच्छी है।
आईओएल या इंट्राओकुलर लेंस एक प्रकार का इम्प्लांट है, जिसे आंख के अंदर रखा जाता है। यह रोशनी के आंख जाने का तरीका बदलकर दृष्टि समस्याओं को ठीक करता है। आईओएल का उपयोग अलग-अलग दृष्टि समस्याओं के इलाज में लिए किया जा सकता है। इनमें नज़दीकीपन (मायोपिया), दूरदृष्टि (हाइपरोपिया) और दृष्टिवैषम्य (एस्टिग्मैटिज्म) शामिल हैं। आईओएल आमतौर पर सिलिकॉन या ऐक्रेलिक जैसी लचीली सामग्री से बने होते हैं।
आईओएल की सिफारिश आमतौर पर उन लोगों के लिए की जाती है, जिन्हें दृष्टि संबंधी ज्यादा गंभीर समस्याएं होती हैं। यह एक ज्यादा आक्रामक प्रक्रिया है और इससे रिकवर होने में आपको ज्यादा समय लग सकता है। हालांकि, यह दृष्टि की समस्याओं को ठीक कर सकते हैं, जो लेसिक से संभव नहीं है। इसलिए, कोई भी फैसला लेने से पहले उम्र भी विचार करने वाला एक अन्य कारक है। आमतौर पर 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए लेसिक की सिफारिश नहीं की जाती है।
आईओएल उन लोगों के लिए भी एक अच्छा विकल्प है, जिनके कॉर्निया की मोटाई के कारण लेसिक नहीं हो सकता है। इसके अलावा बहुत पतले कॉर्निया वाले लोगों के लिए लेसिक की सिफारिश नहीं की जाती है। ऐसे में आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प आपकी स्थिति और आपके लक्ष्यों पर निर्भर करता है। इसलिए , फैसला लेने से पहले अपने सभी विकल्पों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करना सुनिश्चित करें।
आमतौर पर लेसिक की तुलना में आईओएल का एक अन्य यह है कि उनका उपयोग मोतियाबिंद के उपचार में किया जा सकता है। मोतियाबिंद की सर्जरी आमतौर पर उन मरीजों पर की जाती है, जिनकी उम्र 40 साल से ज्यादा है। इसमें आंख के प्राकृतिक लेंस को हटाना और इसे आईओएल से बदलना शामिल है। आईओएल का एक नकारात्मक पहलू यह है कि उन्हें लेसिक की तुलना में ज्यादा रिकवरी समय की जरूरत होती है। आईओएल सर्जरी के बाद आपकी दृष्टि स्थिर होने में कई हफ्ते लग सकते हैं। ऐसे में उपचार प्रक्रिया में मदद के लिए आपको कुछ समय के लिए आई ड्रॉप का उपयोग करने की जरूरत हो सकती है।
लेसिक की प्रक्रिया बहुत ही आसान है। इसमें कॉर्निया में छोटा-सा फ्लैप काटने के लिए लेजर का उपयोग करना शामिल है। इसे बाद में उठा लिया जाता है, ताकि एक्जाइमर लेजर का उपयोग गंभीर ऊतक को फिर से आकार देने के लिए किया जा सके। इसमें आमतौर पर 30 मिनट से भी कम समय लगता है। साथ ही प्रक्रिया के बाद सर्जन फ्लैप को बदल देते हैं और जल्दी से ठीक होने के लिए छोड़ देते हैं। लेसिक सर्जरी अपेक्षाकृत सस्ती है, जबकि, आईओएल एक ज्यादा जटिल प्रक्रिया है। इसमें आंख के अंदर चीरा लगाना और फिर एक लेंस डालना शामिल है।
आईओएल की सर्जरी में आमतौर पर लगभग एक घंटे का समय लगता है। इसमें रिकवरी का समय लेसिक के मुकाबले ज्यादा लंबा होता है। साथ ही मरीजों को पूरी तरह से रिकवर होने में आमतौर पर कई हफ्ते लगते हैं। ऐसे में आप बेहतर देख पाते हैं और समग्र रूप से बेहतर दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं। लेसिक या आईओएल सर्जरी करने का फैसला लेते समय प्रत्येक विकल्प के फायदों और नुकसानों पर ध्यान देना जरूरी है। ऐसे में किसी भी नतीजे पर आने से पहले अपने डॉक्टर के साथ अपने सभी विकल्पों पर चर्चा करना सुनिश्चित करें।
लेसिक
भारत में लेसिक सर्जरी की औसत कीमत 30,000 से लेकर 80,000 रुपये है। हालांकि, इसकी सटीक कीमत कई कारकों पर निर्भर करती है। इसमें सर्जरी के प्रकार और सर्जन के अनुभव सहित कई कारक शामिल हैं। कुछ बीमा योजनाएं लेसिक सर्जरी की कीमत के एक हिस्से को कवर करती हैं। ऐसे में यह देखने के लिए अपने प्रदाता से जांच करना जरूरी है कि क्या आप किसी फायदे के लिए योग्य हैं।
आईओएल
भारत में आईओएल सर्जरी की औसत कीमत 15000 से लेकर 80,000 रुपये है। हालांकि, सर्जरी की सटीक कीमत कई कारकों पर निर्भर करती है। इनमें सर्जिकल प्रक्रिया के प्रकार और आपके सर्जन के अनुभव सहित कई कारक शामिल हैं। कुछ बीमा योजनाएं आईओएल सर्जरी की कीमत के एक हिस्से को कवर करती हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि आप अपनी जांच की मदद से यह देखें कि क्या आप किसी फायदे के लिए योग्य हैं।
कुल मिलाकर लेसिक बनाम आईओएल एक सही तुलना नहीं है। लेसिक सर्जरी कॉर्निया को फिर से आकार देकर दृष्टि में सुधार करती है। जबकि, आईओएल सर्जरी के दौरान आंखों में लेंस लगाना और दृष्टि सुधार करना शामिल है। इस प्रकार दोनों सर्जरी के अपने जोखिम और फायदे हैं, इसलिए फैसला लेने से पहले डॉक्टर के साथ इन पर चर्चा करना जरूरी है।
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